वहीँ दूसरी तरफ भागलपुर जिले के नवगछिया से सटे गोपालपुर प्रखंड का एक छोटा सा गाँव है धरहरा,जो पटना से पूर्व में 230 किलोमीटर की दूरी पर है, वहां बेटियो के जन्म पर पेड़ लगाकर बेटी के होने के उत्सव को मनाया जाता है! यह एक सदियों पुरानी प्रथा है.कोई नहीं जानता कि इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई. वहां 1961 में निर्मला देवी जी ने जब एक बेटी को जन्म दिया तो उनके पति ने 50 आम के पेड़ लगाकर जन्मोत्सव मनाया,उनकी दूसरी पुत्री के जन्म के बाद तथा बाद में पोतियों के जन्म का उत्सव पेड़ लगाकर मनाया गया,आज निर्मला देवी के पास आम और लीची का 10 एकड़ का बगीचा है! शायद यहाँ से इस प्रथा का शुभ आरम्भ हुआ होगा तब से अमीर हों या गरीब,उच्च जाति के हों या निम्न जाति के सभी लोग बेटी के जन्म पर पेड़ जरुर लगाते हैं,बेटी का जन्मोत्सव यहाँ पर कम से कम 10 फलदार पेड़ लगाकर मनाया जाता है और बेटी को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है! हरियाली से ओत-प्रोत धरहरा गाँव दक्षिण में गंगा से और उत्तर पूर्व में कोसी नदी से घिरा है. धरहरा की बेटियां गर्व से अपने आपको हरित क्रांति की पक्षधर कहलाना पसंद करती हैं!
2010 में यह गाँव तब प्रकाश में आया जब लोगों को पता चला कि एक परिवार बेटी के जन्म पर कम से कम 10 पौधे जरुर लगाते हैं. पेड़ लगाने की यह प्रथा कई पीढ़ियों से जारी है. 2010 में 7000 की जनसँख्या वाले इस गाँव में लगभग एक लाख पेड़ थे,ज्यादातर आम और लीची के! 1200 एकड़ क्षेत्रफल वाले इस गाँव में 400 एकड़ क्षेत्र में फलदार पेड़ लगे हैं, इस गाँव में स्त्रियों और पुरुषों का अनुपात 1000 :871 है. पर्यावरण को हरा भरा,साफ़ सुथरा और बीमारियों से परे रखने के अलावा यह प्रथा बेटियों का एक तरह से बीमा कवर का कार्य करती है,शहरों में लोग जिस तरह बेटियों की शिक्षा,विवाह आदि के लिए रुपया जमा करते हैं वहीँ धरहरा में लोग फलदार पेड़ लगाते हैं!
भारत जैसे देश में जहाँ कन्या भ्रूण हत्या और दहेज़ हत्या चरम पर है,इस तरह की प्रथा अवश्य ही प्रशंसनीय है, महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह अद्भुत कदम है, यहाँ की वनपुत्रियाँ ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओ से भी जागरूक होने का सन्देश देती है! एक तरफ हम स्त्री को माँ दुर्गे और माँ अम्बे के रूप में पूजते है, लेकिन व्यवहार में हम ऐसा नहीं करते! ठीक यही स्थिति पेड़ों को लेकर है, पेड़ों की पूजा की जाती है लेकिन जब आवश्यकता आस्था पर भारी पड़ने लगती है तो पेड़ों को काट देते है बिना सोचे समझे आज शहरो में पेड़ देखने को नहीं मिलते हरियाली कि जगह बड़ी बड़ी इमारतों ने ले ली है, ऐसे में धरहरा के लोगों ने एक बड़ा सन्देश दिया है, धरहरा से निकला बेटियों के नाम पर पेड़ लगाने का सन्देश आज देश भर में गूंज रहा है, इस बार गणतंत्र दिवस के अवसर पर बिहार राज्य कि झांकी में धरहरा कि इसी परंपरा को दर्शाया गया जो देश के दूसरे गांवों के लोगों को भी प्रेरित करेगी साथ ही कन्या भ्रूण हत्या और उससे जुडी समस्याओ से निजात का सन्देश भी देगी और इसके साथ पर्यावरण को हरित क्रांति की और भी उद्धत करेगी..........

Monday, March 31, 2025 11:48:56 PM
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Sunday, March 10, 2013
भूर्ण हत्या और धरहरा की धरोहर
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शुक्रिया