जीवन एक पाठशाला
जीवन एक पाठशाला है,
यहाँ हर कदम पर जिंदगी एक पाठ पदाती है,
कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है !
यहाँ हर कदम पे खड़ी खुशिया पंख पसार,
मिलते है यहाँ दुःख और गम भी अपार,
लेकिन फिर भी यह जिंदगी,
खुशिओ संग खुश होती,
और दुखो में हमें सहेजती,
निरंतर आगे बदती जाती है !!
कभी सेहरा में भटकते मुसाफिर की मृगतृष्णा सी,
कभी सागर की डूबती उतरती लहरों सी,
कभी जेठ की दुपहरी की तपन सी,
कभी फूलो की खुशबू से निर्मल झोंखे सी,
जिंदगी तेरे हर रंग लगे न्यारे है !!
हम खुशिओ संग खिलखिलाते,
गमो से पार पाते,
जब भी मुस्कुराते यहीं कहते,
जिंदगी लगती कभी तू अपनी,
तो कभी नितांत बेगानी सी !!!
फिर भी तुझसे मुझे प्यार है,
तुझसे ही है खुशिया मेरी,
तू ही तो मेरी पहचान है,
इसीलिए तो ए जिंदगी,
तुझमे बसी मेरी जान है...........किरण आर्य
jidagi jitna sikhati hai utna kitaben nahi..
ReplyDeletebahut badiya prerak prastuti..
कविता जी हाँ सही कहा आपने हर पल एक नया सबक दे जाती है जिंदगी और उसके साथ चलते हुए ही तो हम अनुभवी कहलाते जीवन में.........:))
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