Thursday, August 1, 2013

व्यस्त सी है जिंदगी
हिस्सों में बँटी हुई
सिरे परस्पर उलझे से
रेत से फिसल रहे ....
 
सागर की लहरों सी 
शोर संग विकल बढ़ी
शिलाओं के नगर में
टूटी हुई सांस सी .....
 
है कभी मधुमास सी
पिया मिलन की आस लिए 
चाहतों के घरौंदे में
मधुर से अहसास सी ....
 
चक्की के पाटों में फंसी
पिस रही बेबस बड़ी
सूखे से कोर में
अश्रु की बरसात सी .....
 
अनबुझी प्यास सी
रूह की भटकन लिए
नीरवता के सघन में
उड़ रही खाक सी ......
 
सन्नाटो का है उपद्रव
मौन एक रुदन लिए
मरघट से शहर में
मृत्यु के संताप सी .....
 
व्यस्त सी है जिंदगी
हास सी परिहास सी
मुस्कानों के मेलें में
अपनों के साथ सी.......

1 comment:

  1. अजब जिन्दगी की गजब कहानी
    कभी खट्टी सी कभी मीठी सी....पर जीने का आनंद तो यही है ना....

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शुक्रिया