हमारी ये भूख
साम्प्रदायिक नहीं है
यह है पूरी तरह से
धर्मनिरपेक्ष।
यह नहीं देखती
हिन्दू ना मुस्लिम
ना सिख ना इसाई।
यह खंज़र लेकर हाथ में
खड़ी भी नहीं होती
बस महसूस करती है
अंतड़ियों के दर्द को
हमारी ये भूख।
गरीब के सपने सी
अमीर की शोहरत सी
कभी रोती कभी हंसती
हमारी ये भूख।
चोर के ज़मीर सी
आटे में ख़मीर सी
शिकारी के तीर सी
बस चुभती भर है
हमारी ये भूख।
वेश्या की पायल में
बिछड़े हुए बादल में
माँ के सूने आँचल में
बिलखती सी
हमारी ये भूख
तन को कभी लजाये
नयन नीर सी गिर जाये
मन इधर उधर भटकाए
निर्लज्ज बेहया सी
हमारी ये भूख
आँखों के सूखे कोर सी
बेगानों के ठौर सी
छुप रही चोर सी
बहकती फिरे
हमारी ये भूख
सरिता में बहते नीर सी
पके फफोलों की पीर सी
अपनों पर गिरती शमसीर सी
निरंतर रिसती
हमारी ये भूख
भूख ये भूख
******************
साम्प्रदायिक नहीं है
यह है पूरी तरह से
धर्मनिरपेक्ष।
यह नहीं देखती
हिन्दू ना मुस्लिम
ना सिख ना इसाई।
यह खंज़र लेकर हाथ में
खड़ी भी नहीं होती
बस महसूस करती है
अंतड़ियों के दर्द को
हमारी ये भूख।
गरीब के सपने सी
अमीर की शोहरत सी
कभी रोती कभी हंसती
हमारी ये भूख।
चोर के ज़मीर सी
आटे में ख़मीर सी
शिकारी के तीर सी
बस चुभती भर है
हमारी ये भूख।
वेश्या की पायल में
बिछड़े हुए बादल में
माँ के सूने आँचल में
बिलखती सी
हमारी ये भूख
तन को कभी लजाये
नयन नीर सी गिर जाये
मन इधर उधर भटकाए
निर्लज्ज बेहया सी
हमारी ये भूख
आँखों के सूखे कोर सी
बेगानों के ठौर सी
छुप रही चोर सी
बहकती फिरे
हमारी ये भूख
सरिता में बहते नीर सी
पके फफोलों की पीर सी
अपनों पर गिरती शमसीर सी
निरंतर रिसती
हमारी ये भूख
भूख ये भूख
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बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : मंदारं शिखरं दृष्ट्वा
नवरात्रि की शुभकामनाएँ