प्यास बुझती नहीं बरसात गुजर जाती है
तन्हा - तन्हा सी हर रात गुजर जाती है
प्यासे बैठे है चातक की तरह मुँह उठाये
तकते है आसमा को दिल में अरमान ये लिए
हो बारिश कुछ यूँ जो तन मन को भिगो जाए
अंतर्मन में सुलगती अनबुझी प्यास बुझा जाए
यूं तो हर बरसात मे अहसास जवां होते है
तुम बिन मेरे ये अहसास अधूरे रह जाते है
कबके बिछड़े हो तुम हमसे, इस बरसात
एक बार तुमसे फिर मिला जाए
एक बार तुमसे फिर मिला जाए.....
- किरण आर्या
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शुक्रिया